Difference Between Medical Surgical Nursing -I For GNM 2nd Year, ANM, Bsc Nursing and others medical surgical nursing notes pdf.

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सक्रिय एवं निष्क्रिय रोग प्रतिरोधकता में अन्तर (Difference between Active and Passive Immunity)

सक्रिय रोग प्रतिरोधकता

1. इस प्रकार की immunity के उत्पन्न होने में समय लगता है।

2. इसके उत्पादन में व्यक्ति का इम्यून तंत्र (immune system) सक्रिय रूप से भाग लेता है।

3. यह लम्बी अवधि के लिए सुरक्षा प्रदान करती है।

4. यह अधिक प्रभावी होती है।

5. इसमें इम्यूनोलॉजिकल स्मृति (immunological memory) पाई जाती है।

6. इस प्रकार की रोग प्रतिरोधकता immunodeficient व्यक्तियों में उत्पन्न नहीं होती है।

7. इसमें humoral तथा कोशिकीय (cellular) दोनों प्रकार की immunity शामिल होती है।

8. यह निम्न प्रकार से उत्पन्न हो सकती है-

• किसी क्लिीनिकल (clinical) या सबक्लीनिकल संक्रमण (sub clinical infection) के बाद उस विशिष्ट संक्रमण के विरूद्ध।

• टीकाकरण के पश्चात् (after vaccination)

1. This type of immunity takes time to develop.

2. The immune system of the person actively participates in its production.

3. It provides long term protection.

4. It is more effective.

5. Immunological memory is found in it.

6. This type of immunity does not occur in immunodeficient individuals.

7. It includes both humoral and cellular immunity.

8. It can arise in the following ways-

• Against that specific infection after a clinical or sub-clinical infection.

• After vaccination

 

निष्क्रिय रोग प्रतिरोधकता

1. यह तुरन्त उत्पन्न हो जाती है।

2. इसके उत्पादन में व्यक्ति का इम्यून तंत्र (immune system) भाग नहीं लेता है।

3. यह तुलनात्मक कम अवधि के लिए सुरक्षा प्रदान करती है।

4. यह कम प्रभावी होती है।

5. इसमें इम्यूनोलोजिकल स्मृति (immunologival memory) नहीं पाई जाती है।

6. इस प्रकार की रोग प्रतिरोधकता immunodeficient व्यक्तियों में भी उत्पन्न हो सकती है।

7. इसमें केवल humoral प्रकार की immunity शामिल होती है।

8. यह निम्न प्रकार से उत्पन्न हो जाती है-

• गर्भवती माता (pregnant mother) से उसके गर्भस्थ शिशु (fetus) में antibodies के स्थानान्तरण द्वारा।

• कोलस्ट्रम दूध (colostrum milk) पिलाने से नवजात में।

• एन्टी टिटेनस सीरम (ATS) का इन्जेक्शन लगाने के बाद टिटनेस के विरूद्ध

1. It arises instantly.

2. The immune system of the person does not participate in its production.

3. It provides protection for a comparatively short period.

4. It is less effective.

5. Immunological memory is not found in it.

6. This type of disease resistance can also occur in immunodeficient individuals.

7. It involves only humoral type of immunity.

8. It arises in the following way-

• By transfer of antibodies from the pregnant mother to her fetus.

• In newborn by feeding colostrum milk.

• Against tetanus after injection of Anti Tetanus Serum (ATS).

 

ड्यूडेनल अल्सर तथा गैस्ट्रिक अल्सर में अन्तर (Difference between Duodenal Ulcer and Gastric Ulcer)

 

ड्यूडेनल अल्सर

1. इसमें खाली पेट रहने पर दर्द होता है।

2. इसमें right hypochondrium में tenderness पाई जाती है।

3. इसमें उल्टी अनुपस्थित पाई जाती है।

4. इसमें acid recreation अधिक होता है।

5. इसमें weight loss नहीं होता है।

6. इसके दर्द में antacid प्रभावी होते हैं।

7. यहाँ pain food relief pattern पाया जाता है अर्थात खाना खाने के बाद दर्द ठीक हो जाता है।

8. इसमें मल में रक्तस्त्राव की उपस्थित होती है।

9. इसमें nausea vomiting नहीं होती है।

10. इसके पाए जाने की सम्भावना 25-50 वर्ष की उम्र के दौरान अधिक लम्बी रहती है।

1. It causes pain on empty stomach.

2. Tenderness is found in the right hypochondrium.

3. Vomiting is absent in this.

4. Acid recreation is more in it.

5. There is no weight loss in this.

6. Antacids are effective in its pain.

7. Pain food relief pattern is found here i.e. pain gets cured after eating food.

8. In this, bleeding is present in the stool.

9. There is no nausea vomiting in it.

10. The chances of its being found are greater during the age of 25-50 years.

 

गैस्ट्रिक अल्सर

1. इसमें भरे हुए पेट में दर्द होता है।

2. इसमें epigastrium की midline में tenderness पाई जाती है।

3. इसमें उल्टी होती है।

4. यहाँ acid recreation सामान्य या कम होता है।

5. इसमें weight loss हो जाता है।

6. इसके दर्द में antacid अप्रभावी होते हैं।

7. यहाँ food pain pattern पाया जाता है अर्थात खाना खाने के बाद दर्द होता है।

8. इसमें haematoemesis (खून की उल्टी) के रूप में होती है।

9. इसमें nausea vomiting की उपस्थिति होती है।

10. इसके पाए जाने की सम्भावना 50 वर्ष की उम्र के बाद अधिक रहती है।

1. It causes pain in a full stomach.

2. In this, tenderness is found in the midline of the epigastrium.

3. It involves vomiting.

4. Here acid recreation is normal or less.

5. Weight loss occurs in this.

6. Antacids are ineffective in its pain.

7. Food pain pattern is found here i.e. pain occurs after eating food.

8. It occurs in the form of haematoemesis (vomiting of blood).

9. There is presence of nausea and vomiting.

10. The possibility of its being found is more after the age of 50 years.

 

मधुमेह टाइप-1 एवं मधुमेह टाइप-2 में अन्तर (Difference between Diabetes Type-1 and Diabetes Type-2)

 

मधुमेह टाइप-1 (Diabetes Type-1)

1. यह एक autoimmune रोग है।

2. इसमें पेंक्रियास इंसुलिन का उत्पनाद बिल्कुल नहीं करती है।

3. टाइप 1 मधुमेह की रोकथाम नहीं की जा सकती है।

4. इसका उपचार सिर्फ इंसुलिन इंजेक्शन द्वारा किया जा सकता है। किसी भी प्रकार के व्यायाम, आहार द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।

5. इसे जूवेनाइल डायविटिज (juvenile diabetes) भी कहते हैं क्योंकि यह अधिकांश बचपन में होती है।

1. It is an autoimmune disease.

2. In this the pancreas does not produce insulin at all.

3. Type 1 diabetes cannot be prevented.

4. It can be treated only by insulin injection. Cannot be controlled by any type of exercise, diet

5. It is also called juvenile diabetes because it mostly occurs in childhood.

 

मधुमेह टाइप-2 (Diabetes Type-2)

1. यह एक metabolic अवस्था है।

2. इसमें पेंक्रियास इंसुलिन का उत्पादन करती है लेकिन कम मात्रा में।

3. व्यायाम, क्रियाशील दिनचर्या व संतुलित आहार द्वारा टाइप-2 मधुमेह की रोकथाम संभव है।

4. इसका उपचार औषधियों, इंसुलिन इंजेक्शन द्वारा किया जाता है। संतुलित आहार, योगा, व्यायाम व दैनिक क्रियाओं में परिवर्तन द्वारा इस मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है।

5. इसे एडल्ट डायबिटिज (adult diabetes) भी कहते हैं क्योंकि यह अधिकांशत: वयस्क लोगों में होती है।

1. It is a metabolic state.

2. In this the pancreas produces insulin but in less quantity.

3. Prevention of type 2 diabetes is possible through exercise, active routine and balanced diet..

4. It is treated by medicines and insulin injections. This diabetes can be controlled by balanced diet, yoga, exercise and changes in daily activities.

5. It is also called adult diabetes because it mostly occurs in adult people.

 

गैस्ट्राइटिस एवं कोलाईटिस में अन्तर (Difference between Gastritis and Colitis)

 

गैस्ट्राईटिस

1. यह आमाशय की सूजन का एक रोग है।

2. जी मिचलाना, पेट फूलना, व उल्टी होना इसके मुख्य लक्षण हैं।

3. Staphylococcus जीवाणु, धूम्रपान, शराब का अधिक सेवन व NSAIDS का अधिक उपयोग मुख्य कारण हैं।

1. It is a disease of stomach inflammation.

2. Nausea, flatulence, and vomiting are its main symptoms.

3. Staphylococcus bacteria, smoking, excessive consumption of alcohol and excessive use of NSAIDS are the main causes.

 

कोलाईटिस

1. यह बड़ी आंत की सूजन का एक रोग है।

2. उदर में ऐंठन, दर्द व अतिसार इसके मुख्य लक्षण हैं।

3. Shigella, salmonella जीवाणु इसके मुख्य कारण हैं।

1. It is a disease of inflammation of the large intestine.

2. Abdominal cramps, pain and diarrhea are its main symptoms.

3. Shigella, Salmonella bacteria are its main causes.

 

रक्त की उल्टी एवं रक्त निष्कीवन में अन्तर (Difference between Hematemesis and Haemoptysis)

रक्त की उल्टी

1. इसमें उल्टी में रक्त पाया जाता है।

2. रक्त गहरा व भोजन मिश्रित होता है व उल्टी के साथ बाहर आता है।

3. एक बार में पूरी उल्टी ऊपर आ जाती है या कई बार में इसकी अधिक मात्रा निकलती है।

4. अपच, पैप्टिक अल्सर अथवा आमाशय के अन्य रोग इसका कारण हो सकते हैं।

1. Blood is found in vomit.

2. The blood is dark and mixed with food and comes out with vomit.

3. The entire vomit comes up in one go or a large amount of it comes out in several times.

4. Indigestion, peptic ulcer or other stomach diseases can be the cause.

 

रक्त निष्कीवन

1. खांसने पर बलगम में रक्त पाया जाता है।

2. रक्त चमकीला व लाल होता है जो खांसी के साथ बाहर आता है।

3. कई दिनों तक थूक व बलगम में रक्त आता रहता है।

4. क्षयरोग, कैंसर, ब्रोंकाइटिस आदि इसके मुख्य कारण हो सकते हैं।

1. Blood is found in the mucus when coughed.

2. The blood is bright and red and comes out with cough.

3. Blood keeps appearing in sputum and mucus for several days.

4. Tuberculosis, cancer, bronchitis etc. can be its main causes.

 

गुहावेधन एवं वक्षवेधन में अन्तर.(Difference between Paracentesis and Thoracentesis)

उदरीय गुहावेधन (Abdominal Paracentesis)

1. इस विधि के अंतर्गत संख्त विसंक्रमित तकनीक के साथ उदरीय भित्ति (abdominal wall) से होते हुए सूई पैरीटोनियल गुहा (peritoneal cavity) में प्रविष्ट कराई जाती है एवं पैरीटोनियल द्रव (peritoneal fluid) को बाहर निकाला जाता है।

2. इस विधि का उपयोग असाईटिस (ascites) में उपचारात्मक रूप में भी किया जाता है।

3. इंट्रा-एब्डोमिनल दबाव को कम करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।

1. Under this method, a needle is inserted into the peritoneal cavity through the abdominal wall with strict sterile technique and the peritoneal fluid is taken out.

2. This method is also used therapeutically in ascites.

3. It is also used to reduce intra-abdominal pressure.

 

वक्षवेधन (Thoracentesis/Thoracocentesis)

1. इस प्रक्रिया में वक्ष भित्ति (chest wall) से होते हुए प्लूरल गुहा (pleural cavity) में एक सूई प्रविष्ट कराई जाती है एवं उसमें स्थित द्रव व वायु को को बाहर निकाल लिया जाता है।

2. इसका उपयोग नैदानिक व उपचारात्मक दोनों रूपों में किया जाता है।

3. इसका उपयोग प्लूरल केविटी में द्रव, पस व वायु भर जाने पर व फेफड़े व अन्य रोग के निदान हेतू किया जाता है।

1. In this process, a needle is inserted into the pleural cavity through the chest wall and the fluid and air present in it is taken out.

2. It is used in both diagnostic and therapeutic forms.

3. It is used when the pleural cavity is filled with fluid, pus and air and for the diagnosis of lung and other diseases.

 

हायपोवालेमीआ एवं हायपरवोलमीआ में अन्तर (Difference between Hypovolemia and Hypervolemia)

हायपोवालेमीआ (Hypovolemia)

1. शरीर में रक्त में आवश्यक द्रव की मात्रा काफी कम होना हायपोवालेमीआ कहलाती है।

2. तीव्र व कमजोरी नाड़ी, शुष्क त्वचा, निर्जलीकरण इसके लक्षण हैं।

3. मुख मार्ग द्वारा तरल व द्रव पदार्थ की मात्रा को बढ़ाया जाता है।

4. आवश्यकतानुसार IV मार्ग द्वारा द्रव व इलेक्ट्रोलाइट्स दिए जाते हैं।

1. Significantly less amount of essential fluid in the blood is called hypovolemia.

2. Its symptoms are rapid and weak pulse, dry skin, dehydration.

3. The quantity of liquids and fluids is increased through the oral route.

4. Fluids and electrolytes are given through IV route as per requirement.

 

हायपरवोलमीआ (Hypervolemia)

1. शरीर में रक्त में आवश्यक द्रव की मात्रा जरुरत से अधिक होने की स्थिति हायपरवालेमीआ कहलाती है।

2. वजन बढ़ना, रक्तचाप बढ़ना, सांस लेने में परेशानी व सूजन इसके मुख्य लक्षण हैं।

3. तरल व द्रव पदार्थ की मात्रा सीमित की जाती है। नमक व सोडियम लेना भी प्रतिबंधित किया जाता है।

4. मूत्र उत्सर्जन को प्रोत्साहित करने वाली औषधियां (diuretics) दी जाती हैं।

1. The condition of the amount of essential fluid in the blood being more than required in the body is called hypervolemia.

2. Weight gain, increase in blood pressure, difficulty in breathing and swelling are its main symptoms.

3. The quantity of liquids and liquids is limited. Taking salt and sodium is also prohibited.

4. Medicines that encourage urine excretion (diuretics) are given.

 

अपच एवं निगलने में कष्ट में अन्तर (Difference between Dyspepsia and Dysphagia)

अपच (Dyspepsia)

1. यह एक रासायनिक पाचन संबंधी गड़बड़ी है।

2. इसमें पेप्सिन नामक गैस्ट्रिक जूस की एन्जाइम की कमी पायी जाती है।

3. इसमें आमाशयिक प्रोटीन का पाचन नहीं हो पाता है।

1. It is a chemical digestive disorder.

2. There is a deficiency of the enzyme of gastric juice called pepsin.

3. In this, gastric protein cannot be digested.

निगलने में कष्ट (Dysphagia)

1. यह पेशी व तंत्रिका संबंधी विकार है।

2. इसमें भोजन को निगलने में कठिनाई होती है।

1. It is a muscle and nerve related disorder.

2. There is difficulty in swallowing food.

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