GNM 2nd Year child Health Nursing Definition and Terminology For All States GNM, ANM and Bsc Nursing Exams

आज के पोस्ट के माध्यम से आप सभी के बीच GNM 2nd Year Child Health Nursing Definition and Terminology For All States. जो आपको Hindi और English में देखने को मिलेगा।

GNM 2nd Year child Health Nursing Definition and Terminology For All States GNM, ANM and Bsc Nursing Exams.

1. वीनिंग (Weaning)

वीनिंग वह प्रक्रिया है जिसके अर्न्तगत बच्चे को धीरे-धीरे माँ के दूध से सामान्य पारिवारिक आहार में लाते हैं।

इस दौरान उसे माँ के दूध के अलावा ऊपरी आहार (top feed) या पूरक आहार (supplementary foods) दिए जाते हैं जो बच्चे की इस दौरान बढ़ी हुई पोषण आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। यहाँ वीनिंग का तात्पर्य स्तनपान बंद कर देना नहीं है।

Weaning

Weaning is the process in which the child is gradually introduced from mother’s milk to the normal family diet.

During this period, apart from mother’s milk, he is given top feed or supplementary foods which fulfill the increased nutritional needs of the child during this period. Here weaning does not mean stopping breastfeeding.

 

2. कृत्रिम पोषण (Artificial Feeding) –

माँ के दूध से बच्चे का पोषण प्राकृतिक पोषण कहलाता है लेकिन जब माँ के दूध से पोषण न करके ऊपरी आहार (top-feeds) एवं माँ के दूध के प्रतिस्थापक (breast-milk substitute) दिए जाएं तो इसे कृत्रिम पोषण (artificial feeding) कहते हैं।

Artificial Feeding –

Nutrition of the child through mother’s milk is called natural nutrition, but when instead of nutrition through mother’s milk, top-feeds and breast-milk substitutes are given, then it is called artificial feeding. Are.

 

3. अंडर फाइव क्लीनिक (Under Five Clinic) –

अंडर फाइव क्लीनिक पाँच वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित होते हैं। इस क्लीनिक के द्वारा पाँच वर्ष तक के बच्चों को नैदानिक, उपचारात्मक तथा रक्षात्मक प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं।

Under Five Clinic –

Under-five clinics deal with health care of children up to five years of age. Through this clinic, diagnostic, curative and preventive health services are provided to children up to five years of age.

 

4. रक्ताल्पता (Anaemia) –

लाल रक्त कणिकाओं का आयतन व आकार या उनमें हीमोग्लोबिन की मात्रा या दोनों का सामान्य स्तर से नीचे गिरना एनीमिया कहलाता है।

“लाल रक्त कणिकाओं की परिमाणात्मक व मात्रात्मक कमी को एनीमिया कहते हैं।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार 6 माह से 6 वर्ष की आयु में 11 gm/dL तथा 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों में 12gm/dL से कम हीमोग्लोबिन स्तर एनीमिया की श्रेणी में आता है।

Anemia –

When the volume and shape of red blood cells or the amount of hemoglobin in them or both fall below the normal level is called anemia.

“The quantitative and quantitative reduction of red blood cells is called

anemia.”

According to the World Health Organization (WHO), hemoglobin level less than 11 gm/dL in children of 6 months to 6 years of age and 12 gm/dL in children of 6 years to 14 years comes under the category of anemia.

 

5. टीकाकरण (Immunization) –

शरीर में वैक्सीन (vaccine), इम्यूनोग्लोबुलीन (immunoglobulin) या ऐन्टीसीरम (antiserum) प्रविष्ट कर किसी विशिष्ट रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करना प्रतिरक्षण टीकाकरण (immunization) कहलाता है।

इसका उद्देश्य बच्चों को छः जानलेवा बीमारियों- गलघोंटू (diphtheria), कुकर खाँसी (whooping cough), टेटनस, तपेदिक (tuberculosis), पोलियो व मीजल्स से मुक्ति दिलाना है। भारत में इसे 1978 में लागू किया गया था।

Immunization –

Generating immunity against a specific disease by introducing vaccine, immunoglobulin or antiserum into the body is called immunization.

Its objective is to free children from six deadly diseases – diphtheria, whooping cough, tetanus, tuberculosis, polio and measles. It was implemented in India in 1978.

6. आमाशय / मध्यांत्र छेदन पोषण (Gastrostomy / Jejunostomy Feeding) –

जब बालक के ऊपरी आन्त्र-मार्ग या सामान्य मार्ग की शल्य क्रिया या अन्य किसी परेशानी के कारण पोषण को आमाशय एवं आँतों तक पहुँचाना संभव नहीं होता है तब गैस्ट्रोस्टोमी (gastrostomy) एवं जेजुनोस्टोमी (jejunostomy) के द्वारा पोषण फीडिंग की जा सकती है।

Gastrostomy / Jejunostomy Feeding –

When it is not possible to deliver nutrition to the stomach and intestines due to surgery or any other problem in the child’s upper intestinal tract or normal tract, then nutritional feeding can be done through gastrostomy and jejunostomy.

 

7. एनीमा (Enema) –

रोगी की आंत्र की सफाई हेतु मलाशय द्वारा द्रव प्रविष्ट कराना अथवा औषधि या पोषण प्रवेश करवाना ही एनीमा देना कहलाता है। छोटे बच्चों को भी एनीमा बड़ों के तरीके से ही दिया जाता है, बच्चों को दिए जाने वाले एनीमा में द्रव की मात्रा बड़ों की तुलना में कम होती है।

Enema –

Injecting liquid or injecting medicine or nutrition through the rectum to clean the bowels of the patient is called enema. Even small children are given enemas in the same manner as adults; the amount of liquid in the enema given to children is less than that of adults.

 

8. प्रकाश चिकित्सा (Phototherapy) –

फोटोथैरेपी या प्रकाश चिकित्सा ऐसी चिकित्सा है जिसमें शिशु को खुले नीले प्रकाश के नीचे रखा जाता है।

इसमें बिलिरुबिन का प्रकाशभंगुरण होता है जो त्वचा में जमे अप्रत्यक्ष बिलिरुबिन को घुलनशील अहानिकारक पदार्थ में बदल देता है जो गुर्दों द्वारा उत्सर्जित कर दिया जाता है।

Phototherapy –

Phototherapy or light therapy is a therapy in which the baby is kept under open blue light.

It involves the photolysis of bilirubin, which converts indirect bilirubin stored in the skin into a soluble, harmless substance that is excreted by the kidneys.

 

9. इन्क्यूबेटर (Incubator) –

नवजात शिशु को स्थिर, गर्म, आर्द्र एवं सुरक्षित वातावरण प्रदान करने वाला यांत्रिक उपकरण इन्क्यूबेटर कहलाता है।

यह नवजात शिशु को उचित नर्सिंग देखभाल प्रदान करने में महत्वपूर्ण सहायक उपकरण है।

इसमें शिशु नग्न अवस्था में पाला जाता है व शिशु की जरूरत के अनुसार तापमान व आर्द्रता कम व ज्यादा किया जा सकता है।

Incubator –

The mechanical device that provides a stable, warm, humid and safe environment to a newborn baby is called an incubator.

It is an important aid in providing proper nursing care to the newborn.

In this, the baby is brought up in a naked state and the temperature and humidity can be increased or decreased as per the need of the baby.

10. अपरिपक्व शिशु (The Premature Infant) –

गर्भावस्था के 37 सप्ताह पूर्ण होने से पूर्व जन्म लेने वाले शिशु अपरिपक्व शिशु कहलाते हैं।

The Premature Infant –

Babies born before completion of 37 weeks of pregnancy are called premature babies.

11. आहारनाल की अविवरता (Oesophageal Atresia)

यह एक जन्मजात विकृति है जिसमें भ्रूणीय विकास के दौरान अपूर्णता के कारण ग्रासनली, ग्रसनी एवं आमाशय के बीच निरंतरता नहीं होती है। ग्रासनली एक फिस्टुला के द्वारा श्वास नली से संबद्ध हो सकती है जिसे श्वासनली ग्रसिका नासूर या नालव्रण (tracheoesophageal fistula) कहते हैं।

It is a congenital malformation in which there is no continuity between the esophagus, pharynx and stomach due to an imperfection during embryonic development. The esophagus may be connected to the trachea through a fistula called a tracheoesophageal fistula.

 

12. पायलोरिक संकुचन (Pyloric Stenosis) –

पायलोरिक स्टैनोसिस आमाशय के पायलोरिक मार्ग (lower end of stomach) का संकुचन (stenosis) है जो इस भाग की वृत्ताकार पेशियों की अतिवृद्धि (hypertrophy) के कारण होने वाला अवरोध है।

Pyloric stenosis is a narrowing (stenosis) of the pyloric passage of the stomach, which is a blockage caused by hypertrophy of the circular muscles of this part.

 

13. हाइपोस्पेडियस (Hypospadias) –

यह शिश्न का जन्मजात विकार (anomaly) है जिसमें मूत्र-छिद्र (urethral opening) शिश्न की निचली सतह पर खुलती है व बालिकाओं में योनि के अंदर मूत्र छिद्र खुलता है। छिद्र की उपस्थिति शिश्न मुण्ड से (glans penis) से लेकर पैरीनियम तक कहीं भी हो सकती है।

This is a congenital anomaly of the penis in which the urethral opening opens on the lower surface of the penis and in girls, the urethral opening opens inside the vagina. The presence of the orifice can be anywhere from the glans penis to the perineum.

 

14. अछिद्रित मलद्वार (Imperforate Anus)

जन्मजात रूप से गुदा का अछिद्रित होना या अपनी सामान्य स्थिति पर अनुपस्थिति या विकार युक्त होना अछिद्रित मलद्वार कहलाता है। यह एक जन्मजात विकार है जो भ्रूणीय जीवन में सामान्य विकास न होने के कारण होता है।

The anus being congenitally unperforated or being absent or distorted in its normal position is called imperforate anus. It is a congenital disorder that occurs due to abnormal development in fetal life.

15. मूत्राशय की बर्हिपुष्टि या एक्सट्रॉफी (Exstrophy of the Bladder) –

यह एक जन्मजात संरचनात्मक विकार (congenital defect) है जिसमें मूत्राशय की अग्रभित्ति (ventral wall of the bladder) व निम्न उदरभित्ति की अनुपस्थिति होने से ये अधर सतह (ventral surface) पर खुले पड़े रहते हैं। इसके परिणामस्वरूप मूत्र निरंतर बाहर निकलता रहता है।

This is a congenital structural defect in which due to the absence of the ventral wall of the bladder and the lower ventral wall, it remains open on the ventral surface. As a result, urine keeps coming out continuously.

 

16. रिह्यूमेटिक फीवर (Rheumatic Fever) –

यह group A beta haemolytic streptococci के कारण होने वाला systemic inflammation है। इसमें बच्चे में बुखार, एक या अधिक जोड़ों में तीव्र दर्द, सूजन व अकड़न होती है इसे आमवाती ज्वर भी कहते हैं। इसके बाद अक्सर हृदयशोथ (carditis) हो जाता है।

It is a systemic inflammation caused by group A beta haemolytic streptococci. In this, the child has fever, severe pain, swelling and stiffness in one or more joints. It is also called rheumatic fever. After this, carditis often occurs.

 

17. रक्त-संकुलयी हृदयी विफलता [Congestive Cardiac Failure (C.C.F.)] –

जब शरीर की सामान्य उपापचयी (metabolic) आवश्यकताओं के लिए आवश्यक मात्रा में रक्त भेजने (output) में हृदयी पेशियाँ असफल हो जाती हैं तो इसे सी.सी.एफ. (congestive cardiac failure) कहते हैं। इसके फलस्वरूप फेफड़ों व शारीरिक शिरीय तंत्र में रक्त जमा हो जाता है।

When the heart muscle fails to output the required amount of blood for the body’s normal metabolic needs, it is called CCF. (Congestive cardiac failure). As a result, blood gets accumulated in the lungs and body’s venous system.

 

18. रक्त कैंसर (Blood cancer or leukemia)

यह कैंसर का एक प्रकार है जिसमें रक्त में श्वेत रक्त कोशिकाओं में अनियंत्रित एवं तीव्र कोशिका विभाजन होते हैं जिससे अपरिपक्व श्वेत रक्ताणुओं का निर्माण होता है। यह अपरिपक्व श्वेत रक्ताणु शरीर में रक्त, अस्थिमज्जा एवं लसिका तंत्र में जमा हो जाते हैं।

 

This is a type of cancer in which there is uncontrolled and rapid cell division in the white blood cells in the blood, which leads to the formation of immature white blood cells. These immature white blood cells get accumulated in the blood, bone marrow and lymphatic system of the body.

 

19. थैलेसीमिया (Thalassemia) –

यह एक प्रकार का जन्मजात आनुवांशिक हीमोलाइटिक एनीमिया है। इसमें हीमोग्लोबिन की B-chain का निर्माण नहीं होता है और इस विकार युक्त Hb के कारण RBC’s पतली व शीघ्र नष्ट हो जाती है, जिससे Hemolysis होता रहता है इस कारण Haemolytic anemia हो जाता है।

This is a type of congenital genetic hemolytic anemia. In this, the B-chain of hemoglobin is not formed and due to this disordered Hb, RBC’s become thin and get destroyed quickly, due to which hemolysis keeps on occurring and hence hemolytic anemia occurs.

 

20. हीमोफीलिया (Hemophilia) –

यह एक आनुवांशिक रोग है जो बच्चों में माता से स्थानांतरित होता है इसमें रक्त का थक्का नहीं बन पाता है अर्थात् चोट लगने पर रक्त बहता ही रहता है।

 

21. एनसिफैलाइटिस (Encephalitis) –

मस्तिष्क के प्रदाह या सूजन (inflammation) के परिणामस्वरूप मस्तिष्क के कार्यों के गड़बड़ाने की अवस्था को एनसिफैलाइटिस कहते हैं।

This is a genetic disease which is transmitted from mother to children. In this, blood clot is not formed, that is, blood keeps flowing in case of injury.

 

22. आक्षेप (Convulsion)

आक्षेप या झटके मस्तिष्क के कार्यों का अस्थाई व्यावधान है जिसमें अनैच्छिक रूप से पेशीय संवेदी व मानसिक कार्यों में व्यवधान उत्पन्न होता है। इसमें चैतन्यता का लोप भी पाया जाता है। इसमें अचानक ऐच्छिक पेशियों का ताकत के साथ अनैच्छिक संकुचन पाया जाता है। इसमें मस्तिष्क कार्यों (brain functions) जैसे- सोच (feelings), मनोवृत्ति (mood) इत्यादि में भी व्यवधान पाया जाता है।

Convulsions or tremors are temporary disruptions in brain functions in which involuntary disruptions in motor, sensory and mental functions occur. Loss of consciousness is also found in this. In this, sudden, involuntary contraction of voluntary muscles with force is found. In this, disruption is also found in brain functions like thinking, mood etc.

23. अलिन्दीय-भित्ति विकार (A.S.D – Atrial Septal Defect) –
दाएं व बाएं अलिंद को पृथक करने वाले पट में बने छिद्र के कारण इनमें असामान्य रक्त संचरण होता है जो ASD कहलाता है।
Due to the hole in the septum separating the right and left atrium, there is abnormal blood circulation in them which is called ASD.

24. डाउन सिन्ड्रोम (Down Syndrome) –
डाउन सिन्ड्रोम शिशुओं में पाए जाने वाली गुणसूत्रीय असामान्यता है। 1000 जीवित बच्चों पर । में यह रोग पाया जाता है। इसमें ऑटोसोम के 21वें जोड़े के स्थान पर 3 गुणसूत्र होते हैं अतः इसे ट्राइसोमी 21 (Trisomy 21) कहते हैं।
Down syndrome is a chromosomal abnormality found in infants. This disease is found in 1 out of 1000 live births. In this, instead of the 21st pair of autosomes, there are 3 chromosomes, so it is called Trisomy 21.

25. मुग्दरपाद (जन्मजात विकृत पैर) (Club-feet or Talipes)
यह एक जन्मजात विकार है। जिसमें शिशु का टखना व पांव (पंजा/Foot) सामान्य आकृति से भिन्न एवं मुड़ा (twisted), हुआ होता है।
This is a congenital disorder in which the ankle and foot of the child are different from the normal shape and are twisted.

26.नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम (Nephrotic Syndrome)
नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम किडनी का रोग है, जिसमें विभिन्न लक्षण उत्पन्न होते हैं जैसे- proteinuria, hypoalbuminemia, hypercholesterolemia एवं edema ।
Nephrotic syndrome is a kidney disease in which various symptoms arise such as proteinuria, hypoalbuminemia, hypercholesterolemia and edema.

27.तीव्र वृक्क शोथ (Acute Glomerulonephritis) –
ग्लोमेरुलाइ का प्रदाह (inflammation of glomeruli) ग्लोमेरुलोनैफ्राइटिस कहलाता है। इसमें गुर्दे के संयोजी ऊतक (connective tissue), ट्यूब एपिथीलियम (tube epithelium), रक्त वाहिनियां (blood vessels) आदि सभी प्रभावित होते हैं, इसे गुर्दे का प्रदाह भी कहते हैं।
Acute Glomerulonephritis –
Inflammation of glomeruli is called glomerulonephritis. In this, the connective tissue of the kidney, tube epithelium, blood vessels etc. are all affected, it is also called kidney inflammation.

28.तीव्र वृक्कीय विफलता (Acute Renal Failure)
यह गुर्दे का रोग है जिसमें किसी भी कारण अचानक ही किडनी कार्य करना कम या बंद कर देती है अर्थात रक्त में nitrogenous waste पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है।
This is a kidney disease in which the kidney suddenly reduces or stops functioning due to any reason, that is, the amount of nitrogenous waste material increases in the blood.

29.दीर्घकालीन वृक्कीय विफलता (Chronic Renal Failure)
यह एक गुर्दे का रोग है जिसमें लम्बे समय तक कोई विकार रहने के कारण, गुर्दे धीरे-धीरे काम करना बन्द कर देते हैं। यह एक अपरिवर्तनीय (irreversible) स्थिति होती है।
This is a kidney disease in which due to a long-term disorder, the kidneys gradually stop working. This is an irreversible condition.

30.अस्थमा या दमा (Asthma)
अस्थमा श्वसन नली का एक ऐसा रोग है जिसमें साँस नली की पेशियाँ सिकुड़ (spasm) जाती हैं एवं अधिक मात्रा में बलगम निर्माण हो जाता है। इसके कारण श्वसन मार्ग संकरा या अवरूद्ध हो जाता है और रोगी को साँस लेने में परेशानी होती है।
Asthma is a disease of the respiratory tract in which the muscles of the respiratory tract spasm and excessive mucus is produced. Due to this, the respiratory tract becomes narrow or blocked and the patient has difficulty in breathing.

31.निमोनिया (Pneumonia)-
फेफड़ों की बाहरी परत (parenchyma) में संक्रमण एवं प्रदाह (infection and inflammation) का होना निमोनिया (pneumonia) कहलाता है।
Infection and inflammation in the outer layer (parenchyma) of the lungs is called pneumonia.

32.एम्फाइमा (Empyema)
प्लूरल केविटी (pleural cavity) में मवाद (pus) एवं अपघटित ऊतकों (necrotic tissue) का जमाव होना empyema कहलाता है।
Accumulation of pus and necrotic tissue in the pleural cavity is called empyema. Respiratory Infection.

33.श्वसनीय संक्रमण (Respiratory Infection)
श्वसन तंत्र में वे सभी शारीरिक अंग सम्मिलित होते हैं जिनसे श्वसन प्रक्रिया सम्पन्न होती है। श्वसन तंत्र में शामिल होने वाले अंगों में किसी भी प्रकार का संक्रमण होने पर यह स्थिति श्वसनीय संक्रमण (respiratory infection) कहलाती है।
The respiratory system includes all those body parts through which the respiratory process takes place. Any type of infection in the organs involved in the respiratory system is called respiratory infection.

34.आंत्रीय अवरोध (Intestinal obstruction)
यह एक असामान्य स्थिति है जिसमें आंत्रीय मार्ग, आंशिक या पूर्णतः बन्द हो जाता है एवं पाचन पदार्थ प्रवाह अवरूद्ध हो जाता है।
This is an abnormal condition in which the intestinal tract is partially or completely closed and the flow of digestive material is obstructed.

35.हर्शप्रग्न रोग (Hirschsprung’s Disease)
यह एक प्रकार का नाभिकीय अवरोध है, यह वृहदान्त्र के दूरवर्ती भाग (distal colon) के उपश्लेष्मीय व पेशीय स्तर में तंत्रिका गैन्गलिऑन कोशिकाओं की अनुपस्थिति के कारण क्रमाकुंचन गतियों के अभाव के परिणामस्वरूप होने वाला आंत्र अवरोध है। इस रोग को जन्मजात एगैंगलियॉनिक मेगाकोलोन (congenital aganglionic megacolon) भी कहते हैं।
This is a type of nuclear obstruction, it is intestinal obstruction resulting from the absence of peristaltic movements due to the absence of nerve ganglion cells in the submucosal and muscular layer of the distal colon. This disease is also called congenital aganglionic megacolon.

36.मृदापाइका भक्षण (PICA)
अप्राकृतिक वस्तुओं जैसे मिट्टी, चाक, साबुन, क्रेयोन्स आदि को खाने की आदत को PICA अथवा Geophagia कहते हैं।
The habit of eating unnatural things like soil, chalk, soap, crayons etc. is called PICA or Geophagia.

37.बाल अपराध (Juvenile Delinquency) –
18 वर्ष से छोटे बच्चों द्वारा सामाजिक या कानूनी अपराध अथवा गलत व्यवहार बाल अपराध कहलाता है। हत्या जैसे जघन्य अपराधों में उम्र की सीमा 16 वर्ष है अर्थात् 16-18 वर्ष के बच्चों को वयस्क मानकर कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

Juvenile Delinquency –
Social or legal crime or wrong behaviour by children below 18 years is called juvenile delinquency. In heinous crimes like murder, the age limit is 16 years i.e. legal action will be taken against children of 16-18 years of age by considering them as adults.

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