midwifery and gynaecology notes pdf For GNM 3rd Year, ANM, Bsc Nursing & Other Nursing Exams Hindi Notes midwifery and gynaecology

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Q. सच्चा या वास्तविक प्रसव (True Labour)

1. इसमें नियमित अंतराल पर गर्भाशय में दर्दयुक्त संकुचन उत्पन्न होते हैं।

2. संकुचन समय के साथ तीव्र एवं अधिक समय के लिए होते हैं।

3. वास्तविक प्रसव में सर्विक्स में फैलाव एवं सिकुड़न होता है।

4. इसमें पानी की थैली (bag of water) का निर्माण होता है।

5. इसमें शो (show) विद्यमान रहता है।

6. इसमें internal os का फैलाव रहता है।

1. In this, painful contractions occur in the uterus at regular intervals.

2. Contractions become more intense and last longer over time.

3. During actual delivery, there is expansion and contraction of the cervix.

4. A bag of water is formed in it.

5. Show is present in it.

6. There is expansion of internal OS in it.

 

झूठा या मिथ्या प्रसव (False Labour)

1. मिथ्या प्रसव गर्भाशय संकुचनों से संबंधित नहीं होता है।

2. इसमें दर्द की प्रवृत्ति धीमी एवं निरंतर होती है।

3. इसका सर्विक्स के dilatation पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

4. इसे एनीमा व सेडेटिव औषधि देकर समाप्त किया जा सकता है।

5. यह multipara स्त्रियों की तुलना में primigravida महिलाओं में अत्यधिक होता है।

1. False labor is not related to uterine contractions.

2. The tendency of pain in this is slow and continuous.

3. It has no effect on dilatation of the cervix.

4. It can be ended by giving enema and sedative medicine.

5. It is more common in primigravida women than in multipara women.

 

2. कैपुट सक्सिडेनियम तथा शीर्ष रक्तगुमठा (रक्तगुल्म) में अंतर

(Difference between Caput Succedaneum and Cephalhaematoma)

 

कैपुट सक्सिडेनियम

1. यह शिशु के सिर पर पाई जाने वाली जलशोथिय सूजन है।

2. यह शिरोवल्क ऊतक में रक्त युक्त लसीय द्रव के भर जाने के कारण होती है।

3. यह जन्म के समय से ही उपस्थित होती है व जन्म के 36 घंटों में विलुप्त हो जाती है।

4. इसे दबाने पर गड्ढा बन जाता है।

5. यह सीवन रेखा के दूसरी ओर जा सकती है।

 

caput succidinium

1. This is a hydrostatic swelling found on the head of the baby.

2. It occurs due to filling of lymphatic fluid containing blood in the cerebral tissue.

3. It is present from the time of birth and disappears within 36 hours of birth.

4. When pressed, a crater is formed.

5. It may go to the other side of the seam line.

 

शीर्ष रक्तगुमठा (रक्तगुल्म)

1. यह शिशु के सिर पर पाई जाने वाली सूजन है।

2. यह जन्म के दौरान सिर और श्रोणि में रगड़ के कारण

पैरिओस्टीयम के नीचे रक्त भरने के कारण होता है।

3. इसमें उपचार की आवश्यकता नहीं होती है व रक्त अवशोषित कर लिया जाता है व सूजन खत्म हो जाती है।

4. इसे दबाने पर गड्ढा नहीं बनता है।

5. यह सीवन रेखा के उस पार कभी नहीं जाती है।

 

Apical hematoma (hematoma)

1. This is a swelling found on the head of the baby.

2. It is caused by rubbing of the head and pelvis during birth.

Caused by blood filling under the periosteum.

3. It does not require treatment and the blood is absorbed and the swelling goes away.

4. It does not form a crater when pressed.

5. It never goes beyond the seam line.

 

नाल भ्रंश (Cord Prolapse)

1. झिल्लियां फटने के बाद नाभि नाल बाहर आने वाले प्रस्तुति भाग के सामने होती है।

2. शिशु नाल को अंगुलियों से छूकर देख सकते हैं गर्भस्थ शिशु जीवित हो तो उसमें स्पन्दनों का अनुभव हो सकता है।

1. After the rupture of membranes, the umbilical cord is in front of the presenting part coming out.

2. You can feel the umbilical cord by touching it with your fingers. If the fetus is alive, you can feel vibrations in it.

 

नाल प्रस्तुतिः (Cord Presentation)

1. इसमें नाभि नाल प्रस्तुति भाग के नीचे चली जाती है एवं गर्भ की झिल्लियां अखण्ड रहती हैं।

2. इसकी संभावना ब्रीच व ट्रांसवर्स लाई में अधिक होती है।

3. शिशु नाल को intact bag of membranes से अनुभव किया जा सकता है।

 

1. In this, the umbilical cord goes below the presentation part and the membranes of the womb remain intact.

2. Its possibility is more in breech and transverse lie.

3. The umbilical cord can be felt with an intact bag of membranes.

 

संकुचन (Contraction)

• गर्भावस्था के प्रारंभ होने पर कुछ सप्ताह में इसमें होने वाले संकुचनों को अनुभव किया जाता है, इन संकुचनों को ब्रॉक्स्टन-हिक्स संकुचन भी कहते हैं। ये कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे- दर्द रहित संकुचन, अनियमित संकुचन, आवृत्ति विहीन संकुचन

After the onset of pregnancy, contractions are experienced within a few weeks, these contractions are also called Broxton-Hicks contractions. These can be of many types like painless contractions, irregular contractions, contractions without frequency.

 

रीट्रैक्शन (Retraction)

• रीट्रैक्शन गर्भाशयी पेशियों का प्रमुख गुण है। इसमें पेशीतन्तु की लंबाई संकुचन होने के बाद पुनः पूर्वावस्था में नहीं जा पाती है एवं स्थायी रूप से पेशी तन्तु की लंबाई कम हो जाती है। रीट्रेक्शन को permanent shortening of muscles भी कहते हैं।

Retraction is the main property of the uterine muscles. In this, the length of the muscle fiber does not return to its previous state after contraction and the length of the muscle fiber reduces permanently. Retraction is also called permanent shortening of muscles.

प्लासेण्टा प्रीविया (Placenta Praevia)

• आमतौर पर गर्भावस्था के समय placenta गर्भाशय के ऊपरी भाग में आरोपित होता है लेकिन किसी परिस्थिति में अपरा (placenta) गर्भाशय के निचले भाग में पूर्ण या आंशिक रूप से आरोपित हो जाता है तथा cervix के internal OS को आंशिक या पूर्ण रूप से ढँक (cover) देता है तो इसी अवस्था को प्लासेण्टा प्रीविया (placenta praevia) कहते हैं।

Generally, during pregnancy, the placenta is implanted in the upper part of the uterus, but in some circumstances, the placenta gets completely or partially implanted in the lower part of the uterus and partially or completely covers the internal OS of the cervix. cover) then this condition is called placenta praevia.

 

अपरा पृथक्करण (Placental Abruption)

• यह वह असामान्य स्थिति है जिसमें अपरा (placenta) का आरोपण तो गर्भाशय के ऊपरी भाग में सामान्य रूप से होता है परन्तु गर्भस्थ शिशु के जन्म से पहले ही इसका premature पृथक्करण हो जाता है, अतः इसको दुर्घटनात्मक रक्तस्त्राव भी कहते हैं।

This is an abnormal condition in which the placenta implants normally in the upper part of the uterus but its premature separation occurs before the birth of the fetus, hence it is also called accidental bleeding.

 

प्री-एक्लैम्पसिया (Pre-Eclampsia)

• प्री-एक्लैम्पसिया late pregnancy का रोग होता है, इसे प्रेग्नेन्सी इन्ड्यूस्ड हाइपरटेंशन (Pregnancy Induced Hypertension) भी कहते हैं।

इसमें रक्तचाप 140/90 mm Hg तक हो जाता है।

वाहिनियां संकुचित हो जाती हैं व अंगों में रक्तापूर्ति कम हो जाती है।

Pre-eclampsia is a disease of late pregnancy, it is also called pregnancy induced hypertension. In this the blood pressure goes up to 140/90 mm Hg. The vessels become narrowed and blood supply to the organs decreases.

 

एक्लैम्पसिया (Eclampsia)

• यह रोग प्री-एक्लेम्पीसिया की बढ़ी हुई गंभीर अवस्था होती है।

इसमें pre-eclampsia के लक्षणों के साथ में दौरे (convulsions) व अचेतना (coma) की स्थिति भी सम्मिलित हो जाती है इसलिए इसे toxaemia of pregnancy भी कहते हैं।

This disease is an increased severe stage of pre-eclampsia. In this, along with the symptoms of pre-eclampsia, seizures and unconsciousness (coma) are also included, hence it is also called toxaemia of pregnancy.

 

प्रसव पश्चात् रक्तस्त्राव

(Post Partum Haemorrhage, P.Ρ.Η.)

 

शिशु जन्म के पश्चात मां को 6 सप्ताह तक जनन मार्ग से होने वाले रक्तस्त्राव को ही प्रसव पश्चात रक्तस्त्राव कहते हैं।

यह रक्तस्त्राव सूतिकावस्था में कभी भी हो सकता है।

The bleeding that occurs from the mother’s genital tract for 6 weeks after the birth of a child is called postpartum bleeding. This bleeding can occur at any time during pregnancy.

 

प्रसव पूर्व रक्तस्त्राव (Antepartum Haemorrhage, A.P.Η.)

शिशु के जन्म से पहले अथवा गर्भावस्था के 28वें सप्ताह के पश्चात जनन मार्ग (birth canal) से होने वाले रक्तस्त्राव को ही प्रसवपूर्व रक्तस्त्राव (Antepartum Haemorrhage) कहते हैं।

Bleeding from the birth canal before the birth of the baby or after the 28th week of pregnancy is called antepartum haemorrhage.

 

एक डिम्बीय जुड़वाँ (Uniovular Twins)

जब जुड़वां शिशुओं का निर्माण एक ही जाइगोट से होता है तो इसे uniovular twins अथवा monozygotic twins कहते हैं। जायगोट के निर्माण के बाद बदलन विभाजन के समय यह जाइगोट दो भागों में बंट जाता है और प्रत्येक भाग संपूर्ण शिशु का निर्माण करता है।

When twin babies are formed from the same zygote, it is called uniovular twins or monozygotic twins. After the formation of the zygote, at the time of transformation, this zygote gets divided into two parts and each part forms a complete baby.

 

द्विडिम्बीय जुड़वाँ (Binovular Twins)

जब जुड़वां भ्रूण का निर्माण पृथक ओवम एवं स्पर्म के संयोजन के कारण होता है तब इन्हें binovular twins अथवा dizygotic twins कहते हैं। इन्हें fraternal twins भी कहते हैं।

When twin embryos are formed due to the combination of separate ovum and sperm, then they are called binovular twins or dizygotic twins. These are also called fraternal twins.

 

ऑव्यूलेशन (Ovulation)

परिपक्व ग्राफियन फॉलिकल की क्षति से अंडाशय से द्वितीयक ऊसाइट के मुक्त होने तथा इसके conception के लिए उपलब्ध होने की प्रक्रिया ऑव्यूलेशन कहलाती है।

The process of release of the secondary oocyte from the ovary due to the damage of the mature Graafian follicle and making it available for conception is called ovulation.

 

इन्वोल्यूशन (Involution)

प्रसव के बाद जनन अंगों का गर्भावस्था से पूर्व की स्थिति में धीरे-धीरे वापस आना ही इन्वोल्यूशन कहलाता है।

The gradual return of the reproductive organs to their pre-pregnancy state after delivery is called involution.

 

संकुचनी वलय (Contraction Ring)

• गर्भाशय के circular पेशीय तन्तुओं की ऐंठन (spasm) के कारण एक अंगूठी के समान रिंग विकसित होती है। यह रिंग गर्भाशय में कहीं भी व प्रसव की किसी भी अवस्था पर बन सकती है। सामान्यतः यह रिंग ऊपरी गर्भाशयी भाग तथा निचले गर्भाशयी भाग के junction पर foetus की cephalic प्रस्तुति में शिशु की गर्दन के निकट बनती है।

A ring-like ring develops due to spasm of the circular muscle fibers of the uterus. This ring can form anywhere in the uterus and at any stage of labor. Normally this ring is formed near the neck of the baby in cephalic presentation of the fetus at the junction of the upper uterine segment and lower uterine segment.

बंडल वलय (Bandl’s Ring)

• गर्भाशय के ऊपरी भाग में तीव्र संकुचनों के फलस्वरूप गर्भाशय के चारों ओर एक खांच अथवा कर्व (groove or curve) निर्मित होती है जो Bandl’s ring कहलाती है।

इसे Pathological Retraction Ring भी कहते हैं।

As a result of intense contractions in

the upper part of the uterus, a groove or curve is formed around the uterus which is called Bandl’s ring. It is also called Pathological

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